Today while traveling in the local train, a rose fell off a lady's hair, and then what happened:
चाह नहीं मै सुरबाला के
गहनों में गुंथा जाऊं
चाह नहीं प्रेमी माला में
बिंध , प्यारी को ललचाऊँ
चाह नहीं सम्राटों के
शव पर , हे हरी डाला जाऊं
चाह नहीं देवों के सर पर
चढूँ , भाग्य पर इतराऊँ
मुझे तोड़ लेना बनमाली ,
उस पथ पर तुम देना फेंक
मात्र भूमि पर शीश चढ़ाने ,
जिस पथ जाएँ वीर अनेक.
Accidents on railway tracks shot up by 53%, from 5,304 in 1997 to 8,244 in 2007
Source of chart: http://mumbainews.wordpress.com/category/railway/
चाह नहीं मै सुरबाला के
गहनों में गुंथा जाऊं
चाह नहीं प्रेमी माला में
बिंध , प्यारी को ललचाऊँ
चाह नहीं सम्राटों के
शव पर , हे हरी डाला जाऊं
चाह नहीं देवों के सर पर
चढूँ , भाग्य पर इतराऊँ
मुझे तोड़ लेना बनमाली ,
उस पथ पर तुम देना फेंक
मात्र भूमि पर शीश चढ़ाने ,
जिस पथ जाएँ वीर अनेक.
-Makhanlal Chaturvedi Ji – Rajiv Krishna Saxena
Accidents on railway tracks shot up by 53%, from 5,304 in 1997 to 8,244 in 2007
Source of chart: http://mumbainews.wordpress.com/category/railway/
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