यूं ही बेमतलब
बेमतलब की बक बक बक में,
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बेमतलब की बक बक बक में,
खुद ही को उलझाये रखना,
बिना बात की हर हरकत से,
खुद ही को बहलाये रखना,
घंटों से यूं भटके मन को,
फिर फिर कर भटकाते रहना,
दिन भर खटते रहते तन को,
कर कर कर करवाते रहना,
झूठ मूठ की साहसा देकर,
आगे आगे आते रहना,
आदत सी हो गयी है जैसे,
खुद को यूं झुठलाते रहना!
खुद को यूं झुठलाते रहना!
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